Writing In Other Language By करिश्मा सोनी
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माँ

ज़िन्दगी ने जब भी कहा अँधेरा बहुत है,
माँ ने दिया हौंसला कहा सवेरा बहुत है।
हारने पर मुझे कभी जिसने रोने न दिया,
माँ ने उदास मन लिए कभी सोने न दिया।
गलतियों को मैंनें अपनी अक्सर छुपाया है,
माँ ने मुझे समझाया और जीना सिखाया है।
माँ का अद्भुत स्नेह हूँ माँ की ही परछाई हूँ,
माँ ने दिया आशीर्वाद तो ही मुस्कुरा पाई हूँ।
जिस कभी पड़ाव ने जब भी धिक्कारा है,
माँ ने दिया सहारा और मुझे स्वीकारा है।
माँ है मेरी असली शिक्षा माँ ही सरस्वती है,
माँ ने दिया जो भी ज्ञान वही मेरी संपत्ति है।
(नई दिल्ली)