Sunday Poetry Special By Sanghamitra Rajguru (Hindi Poem)

लोग

मैने फूल को फूल
पत्थर को पत्थर कहा
रूठ गए लोग
पानी से चुन बैठी कंकर
पानी और कंकर में फर्क दिखाया
रूठ गए लोग
सब चिल्ला रहे थे यहां वहां
मैंने दिया जलाया
ज्यादा तो नहीं
बस थोड़ा सा उजाला
जल गए लोग
राम रहीम के लड़ाई के
मैंने फालतू बताया
हर दिल में खुदा
रोटी को ईश्वर बताया
चौंक गए लोग
बोलते बोलते बोल डाला मैने
धर्म भय
मंदिर मस्जिद छल का शिकार
विध्वंश संस्कारों से
लिपटा है संसार
एक एक करके छूट गए लोग
ज़ाहिर सी बात
सच को सच कहो
तो टूट जाएगा आकाश
सच हमेशा अकेला
झूठ का लाखों साथ
पर कहीं न कहीं
उम्मीद की एक धागा
है उजागर
एक न एक दिन
समझेंगे लोग
बदलेंगे लोग ।
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