T3 ।। কবিতা পার্বণ ।। বিশেষ সংখ্যায় बैसाखी दास

मकार संक्रांति

आज का दिन है अति पावन
मकर संक्रांति का है दिन
आसमान का मौसम बदला
बिखर गई चहुँओर पतंग।
कितना अच्छा लगे अगर
उड़े पतंग हमें लेकर
नील गगन की मोर पतंग।
आई लेकर नव विहान देखो प्यारी आई संक्रांति
कृषक खिल उठे, महका जीवन, तिल की, गुड़ की ख़ुशबू से
हुआ संचरित नव उत्साह, नवल सूर्य के जादू से।
चालो आज सब खुशियां मनाते है
और सब को बोलते है सुबह मकर सक्रांति।।
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